सृजन का यह शाश्वत संगीत

जिनकी शिक्षा के आधार पर गीत गतिरूप का निर्माण हुआ — वैज्ञानिक और कवि विनोद तिवारी का एक-मात्र काव्य संकलन “समर्पित सत्य समर्पित स्वप्न” प्रकाशित हुआ है।

भौतिक विज्ञान के शोध कर्ता और काव्यालय के सम्पादक डॉ. विनोद तिवारी, कविता में विज्ञान और विज्ञान में कविता देखते हैं। बचपन से ही उन्होंने अपने अन्तर्मन को काव्य के माध्यम से अभिव्यक्त किया। 80 वर्ष की जीवन यात्रा के सभी सत्य और स्वप्न, यह पुस्तक उनकी अबतक की लगभग सभी कविताओं का संकलन है।

आप गीत गतिरूप का प्रयोग करते हैं, अर्थात आपको सुगठित अभिव्यक्ति की तलाश है। झरने जैसी बहती, सुकून देती यह कविताएँ आपको अवश्य पसन्द आएँगी। देखिए कुछ पंक्तियाँ, जिससे पुस्तक को शीर्षक मिला —

सृजन का यह शाश्वत संगीत,
तुम्हारे लिए तुम्हारा गीत।
समर्पित सत्य समर्पित स्वप्न,
तुम्ही को मेरे मन के मीत।
तुम्हारा है सारा आकाश,
संजो कर रखना यह वरदान।
तुम्हारी मधुर मधुर मुस्कान।

साथ ही वाणी मुरारका की मौलिक चित्रकारी।

चलो चमन में बहारों के ख़्वाब देखेंगे।
किसी कली को कहीं बेनक़ाब देखेंगे।
चलो ज़मीन की तारीकियों से दूर चलें
फ़लक के पार चलें आफ़ताब देखेंगे।

पाठक क्या कह रहे हैं?
अमृत खरे: अभिभूत करतीं दिव्य-भव्य कवितायें। मैं मैं न रहा| स्वयं कवि विनोद तिवारी हो गया| परकाया प्रवेश हो गया| यह निश्चित ही कवि और कविता की “सिद्धि” को सिद्ध करता है|

पूनम दीक्षित : यह एक काव्य-यात्रा है। मोतियों पर टहलते हुए पर टहलते हुए मंज़िल की ओर।

पधारिये —
और जानकारीपुस्तक की झलकी । उपलब्ध : एमज़ॉन भारत अन्तराष्ट्रीयकाव्यालय

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