इस लेख में यह बताया गया है कि गीत गतिरूप की वर्णिक छंद की सुविधा का प्रयोग कैसे करें। वर्णिक छंद, वर्ण, गण क्या होते हैं जानकारी के लिए यह लेख देखें।
गीत गतिरूप में वर्णिक छंद के अनुसार से प्रतिरूप पाने के लिए "वर्णिक-कविता" चुनें।
अब आपकी कविता का विश्लेषण वर्ण और गण के अनुसार होगा, और उसके अनुसार प्रतिरूप बनेगा।
उदाहरण स्वरूप देखें यह दो पंक्तियाँ
वृहत रचना, चेतें तो जी, खिले बहुधा उड़े
थिरक थिरके, गाते जाए, सभी मधु सा लगे
(वाणी मुरारका)
इनका वर्णिक कविता के अनुसार गीत गतिरूप में प्रतिरूप है -
इन पंक्तियों में क्रमश: एक नगण (१११), एक सगण (११२), एक मगण (२२२), एक तगण (२१२), फिर एक सगण (११२) और अन्त में एक लघु और एक गुरु वर्ण हैं।
आप यदि किसी निर्धारित वार्णिक छंद के अनुसार लिख रहें हैं, तो उस छंद की मापनी भी दे सकते हैं।
जैसे यह पंक्तियाँ "हरिणी" छंद पर हैं। जिसकी मापनी है १११११२ २२२२ १२११२१२। मापनी देने पर आपकी पंक्तियों में यति सही स्थान पर है कि नहीं, यह भी प्रतिरूप में दिखता है। गण और वर्ण की संचरना निर्धारित छंद के अनुकूल है कि नहीं, वह तो दिखता ही है।
यगण, मगण इत्यादि, गीत गतिरूप के प्रतिरूप में इन रंगों में दर्शाए गए है --
उच्चारण अनुसार किसी अक्षर की मात्रा (और वर्ण) में परिवर्तन करने की सुविधा जैसे अन्य सभी प्रकार की कविताओं में है, वर्णिक-कविता में भी है।
गीत गतिरूप में वर्णिक छंद की सुविधा बनाने में इन सूत्रों से मुझे बहुत मदद मिली --
* धीरेन्द्र त्रिपाठी के सुझाव
* कालपाठी की कविताएँ और उनके नीचे छंद की जानकारी
* परमेश्वरानन्द शर्मा शास्त्री की "छन्द:शिक्षा" नामक पुस्तक (1946 संस्करण)
* इन्टरनेट पर हिन्दी छंद की कुछ जानकारीयाँ
और
* Elm Programming Language
इन सभी संसाधनों और व्यक्तियों को बहुत आभार।