रात को तो हम कभी न कभी सो ही जाते हैं नींद आने से*, पर दिन भर में भी थोड़ा ठहरने की, साँस लेने की आवश्यकता होती है।
वैसे ही निर्धारित छंद में मात्राओं का आकार तो निर्धारित होता ही है, साथ ही पंक्ति के बीच में अल्पविराम कहाँ हो, "यति" भी निर्धारित होता है। जैसे मंदाक्रांता छंद की मापनी 2222 111112 2122122 में दो स्थान पर यति अनिवार्य है -- 2222 के बाद, और 111112 के बाद।
अब आपकी पंक्तियों में मापनी के अनुकूल यति होने पर गीत गतिरूप उसे मोटे नीले धारी में दिखाएगा। जैसे कविता के बॉक्स में यह लिखने से
2222 111112 2122122
तेरी मेरी विविध विधि है जीव संतोष की रे
दोनों तो हैं सुविकसित है दौड़ता कौन धीरे **
उसका प्रतिरूप ऐसा दिखेगा
* "सो ही जाऊँगा नींद आने से" ~ विनोद तिवारी की ग़ज़ल से
** कालपाठी की कविता "एक लघु जीव से…" से उद्धृत
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