- सात घोड़ों पर सवार सपना
धर्मवीर भारती — क्योंकि सपना है अभी भी - उफ्फ, यह दादी की दाढ़ी (और कविता का लय) कैसे सँवारें?
बबीता माँधणा — इतिहास खुद को दोहराएगा - छोटी, प्यारी, मगर मुक्त है क्या? काव्य शिल्प और मुक्त उड़ान के कुछ आधार
केदारनाथ अग्रवाल — आज नदी बिल्कुल उदास थी - काव्य शिल्प में शब्द संयोजन का मेरा एक अनुभव
- अजीब मानूस अजनबी था…
नासिर क़ाज़मी का एक शेर - लड़कियां किस लय पर थिरकती हैं – कविता छंद विश्लेषण
सुदर्शन शर्मा — लड़कियाँ