वर्णिक छंद, वर्ण, गण क्या होते हैं?

मैं (वाणी मुरारका) जितना सा समझी हूँ कि वर्णिक छंद, वर्ण, गण क्या होते है, वह यहाँ साझा कर रही हूँ। कोई ग़लतियाँ या प्रश्न हों तो बताइएगा।

संक्षिप्त में:

वर्णिक छंद में दो पंक्तियों के हर अक्षर की लघु-दीर्घ संरचना समान होनी चाहिए।

मात्राओं कि हिसाब से जब हम लिखते हैं तो मूलत: पंक्तियों में यह तीन गुण हो तो पंक्तियाँ अच्छी लगती हैं
१. पहली पंक्ति और दूसरी पंक्ति की कुल मात्राएँ समान हों
२. दोनों पंक्ति के अन्त के अक्षरों में लघु और दीर्घ मात्रा की संचरना समान हो
३. पंक्ति के प्रारम्भ के अक्षरों में लघु और दीर्घ मात्रा की संचरना समान हो

पंक्ति के बीच के शब्द और अक्षरों में लघु दीर्घ की संरचना की काफ़ी छूट होती है। (और जानकारी के लिए पढ़िए यह लेख)

मगर, वर्णिक छंद में दो पंक्तियों के हर अक्षर की लघु-दीर्घ संरचना समान होनी चाहिए

तो मात्राओं के अनुसार यह पंक्तियाँ मान्य हैं –

वृहत रचना चेतें तो मन बहुत खुश हो उड़े
थिरक थिरके गाते जाए सभी मधु सा लगे

मगर पंक्ति के बीच में “मन बहुत” की संरचना अगली पंक्ति के समान नहीं है –

यह वर्णिक छंद में मान्य नहीं है।

वर्णिक छंद के अनुसार यह पंक्तियाँ सही हैं, जहाँ दोनों पंक्तियों में हर अक्षर की लघु-दीर्घ संरचना समान है —

वृहत रचना, चेतें तो जी, खिले बहुधा उड़े
थिरक थिरके, गाते जाए, सभी मधु सा लगे


वर्ण और गण क्या होते हैं :

संक्षिप्त में लघु मात्रा का एक अक्षर लघु वर्ण होता है, दीर्घ मात्रा का अक्षर गुरु वर्ण होता है। आधे मात्रा की एक बारीकी पर लेख के अन्त में चर्चा करेंगे।

अब याद रखने के सहूलियत के लिए तीन-तीन वर्ण की संरचना को गण कहा गया। तो तीन-तीन लघु या गुरु वर्ण की यह आठ संरचनाएँ सम्भव हैं, जहाँ हम लघु को 1 कह रहें हैं, और गुरु को 2 —

वर्ण संरचनागण का नामयाद रखने के लिएकुल मात्राकुल वर्ण
1.122यगणयमाता53
2.222मगणमातारा63
3.221तगणताराज53
4.212रगणराजभा53
5.121जगणजभान43
6.211भगणभानस43
7.111नगणनसल33
8.112सगणसलगा43

इन गण के नाम और प्रकार को याद रखने के लिए सूत्र है “यमाताराजभानसलगा”। यह गण, गीत गतिरूप में इन रंगों में दर्शाए गए हैं।

द्विपदी की यह पंक्तियों को तीन-तीन वर्ण के समूह में देखें तो

वृहतरचनाचेतेम तोजी खिलेबहुधाड़े
थिरकथिरकेंगाते जाएँ सभीमधु सागे
11111222221211212
नगणसगणमगणरगणसगणलघु वर्णगुरु वर्ण

जब तीन-तीन वर्ण के समूह के बाद अन्त में पंक्ति में कुछ और एक या दो वर्ण बच जाते हैं तो उन्हें अकेले लघु या गुरु वर्ण के जैसे ही इंगित किया जाता है।

वर्णिक कविता के अन्तर्गत इस पंक्तियों का गीत गतिरूप में प्रतिरूप यह आता है

आधा अक्षर और वर्ण:

आधा अक्षर यदि एक मात्रा ले रहा है, और वह एक लघु मात्रा के अक्षर के बाद आता है, तो वह दोनों अक्षर मिलकर एक गुरु वर्ण माना जाता है। उदाहरण स्वरूप –

“कर्म” = क + र् + म = गुरु वर्ण ( क + र् ) + लघु वर्ण ( म )
और गण में
“कर्मठ” = भगण 211 , जैसे कि “साधन”

वर्णिक छंद और वर्णिक-कविता

इस लेख में यह बताया गया है कि गीत गतिरूप की वर्णिक छंद की सुविधा का प्रयोग कैसे करें। वर्णिक छंद, वर्ण, गण क्या होते हैं जानकारी के लिए यह लेख देखें।

गीत गतिरूप में वर्णिक छंद के अनुसार से प्रतिरूप पाने के लिए “वर्णिक-कविता” चुनें।


अब आपकी कविता का विश्लेषण वर्ण और गण के अनुसार होगा, और उसके अनुसार प्रतिरूप बनेगा।

उदाहरण स्वरूप देखें यह दो पंक्तियाँ

वृहत रचना, चेतें तो जी, खिले बहुधा उड़े
थिरक थिरके, गाते जाए, सभी मधु सा लगे
(वाणी मुरारका)

इनका वर्णिक कविता के अनुसार गीत गतिरूप में प्रतिरूप है –

इन पंक्तियों में क्रमश: एक नगण (१११), एक सगण (११२), एक मगण (२२२), एक तगण (२१२), फिर एक सगण (११२) और अन्त में एक लघु और एक गुरु वर्ण हैं।

आप यदि किसी निर्धारित वार्णिक छंद के अनुसार लिख रहें हैं, तो उस छंद की मापनी भी दे सकते हैं।


जैसे यह पंक्तियाँ “हरिणी” छंद पर हैं। जिसकी मापनी है १११११२ २२२२ १२११२१२। मापनी देने पर आपकी पंक्तियों में यति सही स्थान पर है कि नहीं, यह भी प्रतिरूप में दिखता है। गण और वर्ण की संचरना निर्धारित छंद के अनुकूल है कि नहीं, वह तो दिखता ही है।

यगण, मगण इत्यादि, गीत गतिरूप के प्रतिरूप में इन रंगों में दर्शाए गए है —

उच्चारण अनुसार किसी अक्षर की मात्रा (और वर्ण) में परिवर्तन करने की सुविधा जैसे अन्य सभी प्रकार की कविताओं में है, वर्णिक-कविता में भी है।

गीत गतिरूप में वर्णिक छंद की सुविधा बनाने में इन सूत्रों से मुझे बहुत मदद मिली —
* धीरेन्द्र त्रिपाठी के सुझाव
* कालपाठी की कविताएँ और उनके नीचे छंद की जानकारी
* परमेश्वरानन्द शर्मा शास्त्री की “छन्द:शिक्षा” नामक पुस्तक (1946 संस्करण)
* इन्टरनेट पर हिन्दी छंद की कुछ जानकारीयाँ
और
* Elm Programming Language

इन सभी संसाधनों और व्यक्तियों को बहुत आभार।

मोबाइल पर बग सुधार

कुछ दिनों से गीत गतिरूप मोबाइल पर ठीक से काम नहीं कर रहा था। अब उस बग को सुधार दिया गया है।

कोई असुविधा, प्रश्न या टिप्पणी हो तो यहाँ सम्पर्क करें

ग़ज़ल और मापनी

ग़ज़लें भी तो किसी मापनी के अनुसार लिखीं जा सकती हैं। तो गीत गतिरूप में ग़ज़ल की जाँच मापनी के अनुसार कैसे हो?

नई रचना यदि आपने ग़ज़ल कह कर शुरु की है


ग़ज़ल के अनुसार प्रतिरूप पाया। उसमें जो बदलाव करने थे किए। अब आप उसे मापनी के अनुसार देखना चाहते हैं। तो जो रचना का प्रकार है, उसे बदल दीजिए (हरे रंग से मार्क किया है)।


“कविता” चुनने पर आपको मापनी सुविधा मिल जायगी


अब आप मन चाहा मापनी देकर उसी रचना का विश्लेषण मापनी के अनुसार कर सकते हैं। नई रचना बनाने की कोई ज़रूरत नहीं।

इसी तरह हर की सुविधा आप किसी भी रचना के लिए पा सकते हैं, बस सॉफ़्टवेयर को बता दीजिए कि रचना को वह किस प्रकार की समझे।

इस पोस्ट में उदाहरण स्वरूप दुष्यन्त कुमार की ग़ज़ल “हो गई है पीर पर्वत की पिघलनी चाहिए” का प्रयोग किया गया है।

मापनी सुविधा में परिवर्तन

अब मापनी की सुविधा को एक्टिवेट करने के लिए “मापनी” चेकबॉक्स को चेक करें। यह सिर्फ़ कविता के साथ ही उपलब्ध है, ग़ज़ल और मुक्त कविता में नहीं।

चेकबॉक्स चेक करने पर मापनी के लिए अलग बॉक्स दिखेगा। इच्छित मापनी बॉक्स में डालें। अब मापनी कविता के बॉक्स में पहली पंक्ति के जैसे नहीं डालनी है।

बाकि सुविधा वैसी ही है जैसे मूल पोस्ट में बताया गया है।

मापनी (निर्धारित छंद में लिखना)

निर्धारित संरचना की मापनी देकर आप उसके अनुसार लिख सकते हैं। गीत गतिरूप आपको दिखाएगा कि आपकी पंक्ति मापनी के अनुकूल है कि उससे भटक रही है।

  • मापनी सुविधा को एक्टिवेट करने के लिए मापनी चेक बॉक्स पर क्लिक करें

  • मापनी डालने के लिए चेक बॉक्स दिखेगा। यहाँ आप इच्छित मापनी डालें —

अर्थात पंक्ति में मात्राओं की संरचना ऐसी होनी चाहिए। दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ अल्पविराम (यति) लघु-लघु-लघु… इत्यादि। मापनी में यति की जगह space दें।

मापनी को आप हिन्दी के अंकों में भी लिख सकते हैं जैसे २२२२ १११११२ २१२२१२२

प्रतिरूप ऐसे दिखेगा —

जिसमें दीर्घ लघु विराम की संरचना का दिए गए मापनी के संग मेल स्पष्ट दिख रहा है।

कविता की पंक्ति यदि मापनी के अनुकूल नहीं है तो वह भी प्रतिरूप में स्पष्ट हो जाता है। जैसे
2222 111112 2122122
आने जाने में लगता है समय बहुत ही रे

अनामी छंद भी

इस प्रकार, आप किसी भी छंद की मापनी दे सकते हैं। नामी छंद, या अनामी। कई बार कविता लिखते वक्त प्रारम्भिक पंक्तियाँ लय में होती हैं फिर आगे बढ़ते बढ़ते लय छूटता सा है। तो आप अपनी पंक्ति से ही मापनी बनाकर पहली पंक्ति में लिख सकते हैं।

जैसे विनोद तिवारी की कविता “प्यार का नाता” लें। यह किसी नामी छंद पर नहीं है (जहाँ तक हमें पता है)।
ज़िन्दगी के मोड़ पर यह प्यार का नाता हमारा।
राह की वीरानियों को मिल गया आखिर सहारा।
मैं तुम्ही को खोजता हूँ, चाँद की परछाइयों में।
बाट तकता हूँ तुम्हारी, रात की तनहाइयों में।
आज मेरी कामनाओं ने तुम्हे कितना पुकारा।

इसकी अपनी मापनी है जिसका हम प्रतिरूप देखर अनुमान लगा सकते हैं

प्रतिरूप और कविता की पंक्तियों को देखें तो स्पष्ट है कि इसकी मापनी है
21222122 21222122

यह मापनी देकर कविता की पंक्तियाँ देंखें —

साँस कहाँ लें?

रात को तो हम कभी न कभी सो ही जाते हैं नींद आने से*, पर दिन भर में भी थोड़ा ठहरने की, साँस लेने की आवश्यकता होती है।

वैसे ही निर्धारित छंद में मात्राओं का आकार तो निर्धारित होता ही है, साथ ही पंक्ति के बीच में अल्पविराम कहाँ हो, “यति” भी निर्धारित होता है। जैसे मंदाक्रांता छंद की मापनी 2222 111112 2122122 में दो स्थान पर यति अनिवार्य है — 2222 के बाद, और 111112 के बाद।

अब आपकी पंक्तियों में मापनी के अनुकूल यति होने पर गीत गतिरूप उसे मोटे नीले धारी में दिखाएगा। जैसे कविता के बॉक्स में यह लिखने से
2222 111112 2122122
तेरी मेरी विविध विधि है जीव संतोष की रे
दोनों तो हैं सुविकसित है दौड़ता कौन धीरे **

उसका प्रतिरूप ऐसा दिखेगा

* “सो ही जाऊँगा नींद आने से” ~ विनोद तिवारी की ग़ज़ल से

** कालपाठी की कविता “एक लघु जीव से…” से उद्धृत

इस सुविधा — मापनी और यति — के विषय में कोई भी प्रश्न, सुझाव, टिप्पणी हो तो अवश्य लिखें।

आधे अक्षर की मात्रा के नियम

ज्यादातर यह नियम लागू होते हैं। ज़रूरी नहीं 100% सभी शब्दों में लागू हो। इन नियमों के अनुसार गीत गतिरूप आधे अक्षर की मात्रा का अनुमान लगाता है, जिसे प्रयोगी बदल सकते हैं।

1. आधा अक्षर शब्द के आरम्भ में है: 0 मात्रा
उदाहरण –
प्यार — 3 मात्रा — या + र
क्रम — 2 मात्रा — र + म

2. आधा अक्षर शब्द के बीच में है, लघु स्वर के अक्षर के बाद: 1 मात्रा
उदाहरण –
हिन्दी — 4 मात्रा — हि + न् + दी
शब्द — 3 मात्रा — श + ब् + द

3. आधा अक्षर शब्द के बीच में है, दीर्घ स्वर के अक्षर के बाद: 0 मात्रा
उदाहरण –
आत्म — 3 मात्रा — आ + म

4. आधा अक्षर शब्द के बीच में है, दो दीर्घ स्वर के बीच: 0 मात्रा
उदाहरण –
आत्मा — 4 मात्रा — आ + मा

5. आधा अक्षर शब्द के अन्त में है तो उसके पहले लघु या दीर्घ स्वर है उसके अनुसार नियम #2 या #3.

6. दो स्थिति में यह नियम नहीं लागू होते हैं — जब म्+ह या न्+ह हो, जैसे कि “तुम्ही” या “उन्हें”। ऐसे में आधे म् और न् की कोई मात्रा नहीं, वह ह के संग मिला है। तो “तुम्हे” = तु+हे = 3 मात्रा।

नाप कर माप कर! (मापनी)

कई दिनों से (बल्कि सालों से) मन में यह बात थी कि गीत गतिरूप में यह सुविधा होनी चाहिए| छंद की मापनी देकर उसके अनुसार कविता का प्रतिरूप पाने की सुविधा। एक बार मैंने कोशिश भी की, पर कोड करना जटिल लगा। मैंने छोड़ दिया।

हाल में कवि और गीत गतिरूप के प्रयोगी ( यूज़र), धीरेन्द्र त्रिपाठी ने कुछ सुझाव दिए जिससे कि यह महत्वपूर्ण सुविधा कोड करना काफ़ी सरल हो गया, और अब यह आपके लिए तैयार है।

काव्यशास्त्र और संगीत में सक्रिय रुचि रखने वाले धीरेन्द्र त्रिपाठी “कालपाठी” के नाम से लिखते हैं। विभिन्न छंदों की उनकी कविताएँ, यहाँ, उनके वेबसाइट पर, छंद की जानकारी सहित संकलित है। साथ ही व्यवसाय से वह प्रौद्योगिकी के सलाहकार भी हैं, तो उनकी ओर से यह सुझाव आए, आश्चर्य नहीं। इसके लिए उन्हें बहुत धन्यवाद।

कालपाठी की ही कविता “एक लघु जीव से…” की दो पंक्तियों के माध्यम से मापनी की यह सुविधा को जानें —

कविता के टेक्स्ट के पहले, प्रथम पंकित में अब आप छंद की मापनी लिख सकते हैं,
जैसे कि मंदाक्रांता छंद की मापनी
2222 111112 2122122
और उसके बाद कविता की पंक्तियाँ, जैसे कि
तेरी मेरी विविध विधि है जीव संतोष की रे
दोनों तो हैं सुविकसित है दौड़ता कौन धीरे

(कालपाठी)


और प्रतिरूप देखें तो यह पाएँगे —


यदि पंक्तियाँ मापनी के अनुकूल नहीं हैं तो प्रतिरूप में दिख जाएगा, जैसे कि —
2222 111112 2122122
आने जाने में लगता है समय बहुत ही रे


इस उदाहरण में कुल मात्रा एक से कम पड़ रहा है (27 की जगह 26) वह तो दिख ही रहा है, साथ ही रंगों के कारण छंद से पृथक पहली त्रुटि कहाँ है, और आगे के बेमेल भी स्पष्ट हो रहे हैं।


मापनी आप हिन्दी के १ २ में भी दे सकते हैं —
२२२२ १११११२ २१२२१२२

मापनी यदि न भी दें तो अब दीर्घ मात्रा और दो लगातार लघु मात्रा हरे में दिखते हैं और अकेला लघु हो तो नीले में। इससे बिन मापनी के भी छंद का आकार ज्यादा स्पष्ट होता है। इसके कारण तुकान्त पंक्तियों के रंग देखना अब अतिरिक्त विकल्पों में डाल दिया गया है —


सॉफ़्टवेयर अभी यति (छंद में विराम कहाँ अनिवार्य है) नहीं दिखाता है। वह प्रबन्ध और उसकी घोषणा बाद में कभी।

इस सुविधा के विषय में कोई भी प्रश्न अथवा टिप्पणी हो तो नीचे अवश्य लिखें।

नये रूप में गीत गतिरूप 7.0

गीत गतिरूप अब एक नए प्रयोग-आवरण (user interface) में उपलब्ध है। आशा है कि यह नया आवरण आपको ज्यादा आसान और स्वच्छ लगेगा — खासकर मोबाइल में प्रयोग करने के लिए।

क्योंकि यह बदलाव महत्वपूर्ण है, इस संस्करण को गीत गतिरूप 7.0 कहा गया है।

शुरुआत में ही, प्रवेश (लॉगिन) व सदस्य बनने के लिंक स्पष्ट उपलब्ध हैं —

प्रवेश करने पर आपकी पिछली रचनाएँ सबसे पहले दिखती हैं। नई रचना के लिए नीचे (+) बटन दबाएँ —

शुरुआत में ही आप चुन सकते हैं कि आप क्या लिखना चाहते हैं — नई कविता / ग़ज़ल / या मुक्त-कविता, जिससे कि उस विधा के अनुरूप सुविधाएँ सक्रिय रहें —

यदि एक विधा ठीक नहीं बैठ रही है, और आप दूसरी विधा के अनुसार अपनी रचना को देखना चाहते हैं तो वह विधा चुन कर हमेशा परिवर्तन कर सकते हैं —

प्रतिरूप का चित्र डाउनलोड करने की सुविधा नीचे उपलब्ध हो जाती है, जब प्रतिरूप दिखने लगता है —

शब्द सम्पदा ऊपर हमेशा उपलब्ध है —

आशा है कि इस नए रूप में गीत गतिरूप का प्रयोग आपके लिए और सरल होगा।

एप्प का आवरण बदलने से एक बार असुविधा लगती है। यदि आपको गीत गतिरूप के प्रयोग में कोई भी असुविधा महसूस हो तो हमें ज़रूर लिखें